नीमच 1मई( केबीसी न्यूज़) प्रभु का दास कभी उदास नहीं होता। जो व्यक्ति प्रभु के गुणों की भक्ति व तपस्या करता है वह सदैव सुखी रहता है। स्वयं की आत्मा को अनुभव करना ही सच्चा तप है। आत्मा में शांति और सुख प्राप्त करना चाहते हैं तो स्वयं को शरीर से अलग आत्मा का अनुभव करना होगा। सकारात्मक विचारों से अपने आसपास के वातावरण को शुद्ध और पवित्र करना होगा इससे ही जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का हम बेहतर तरीके से सामना कर सकते हैं। पवित्र कर्मों से ही सच्चा सुख मिलता है।यह बात अमित शिशु मसा की शिष्या साध्वी शुद्धि प्रसन्ना श्री जी महाराज साहब की शिष्या प्रवृध्दि श्रीजी म सा ने कही ।वे महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर के तत्वाधान में महावीर जिनालय के घर- घर ध्वजा महोत्सव के पंचम दिवस विकास नगर में आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी।
उन्होंने कहा कि संतोष का धन ही संसार में सबसे सच्चा धन होता है। यह धन जिसके पास होता है वही सच्ची महावीर की संतान होती है। रोटी कपड़ा और मकान हमारे जीवन का आधार है । परमात्मा ने हमें दोनों हाथों से बहुत कुछ दिया है लेकिन हम संतोष की सच्चाई के धन नहीं देख पा रहे हैं और अंधे होकर धन के पीछे दौड़ रहे हैं। मृत्यु जीवन का शाश्वत सत्य है इसे सभी को स्वीकार करना चाहिए और पुण्य धर्म का कार्य करते रहना चाहिए।यदि हम समय रहते भक्ति तपस्या का कर्म करते रहेंगे तो जब कभी अचानक मृत्यु आए तो हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है। मृत्यु को सुधारना है तो जीवन में पुण्य कर्म कर पहले जीवन को सुधारना होगा। भगवान कृष्ण की माताजी देवकी ने सात पुत्रों को जन्म दिया था लेकिन वह एक भी संतान को मां का दूध नहीं पिला पाई थी जब यह बात उन्होंने कृष्ण से कहीं तो कृष्ण ने अपनी शक्ति से एक और पुत्र जन्म होने का अवसर प्रदान किया। पुत्र का नाम गजसु कुमार था। आत्मा का कल्याण करना है तो हम किसी के प्रति भी राग द्वेष नहीं रखें। महावीर का जिन शासन हमें प्रतिकार नहीं करने की प्रेरणा देता है। हंसकर कठिन परिस्थितियों का सामना करने की प्रेरणा देता है। साध्वी समृद्धि श्रीजी म सा ने कहा कि जीवन में लक्ष्य निर्धारित होना आवश्यक है उदायन मंत्री युद्ध के मैदान में भी प्रभु चरित्र व उपकरण के दर्शन के लिए साथ ले जाते थे साधु के उपकरण के दर्शन मात्र से पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं।आत्मा का कल्याण करना है तो पाप कर्मों की निर्जरा के लिए पुण्य कर्म करना चाहिए। जो समाधि के मार्ग पर चलता है वह कभी जीवन में रोता नहीं है। नशा और व्यसन की आदत वालों को समाधि का मार्ग नहीं मिलता है। जीवन का कल्याण करना है तो सत्य प्रिय वचन बोलना चाहिए। साधु के वेश का पूरा संसार सम्मान करता है।
मनुष्य को सुख धन से नहीं अपने पूर्व कर्मों के पुण्य से मिलता है। मनुष्य को इस जन्म में सर्व सुविधा का सुख मिला है तो अगले जन्म के लिए भी पुण्य कर्म करते रहना चाहिए।इससे पूर्व महावीर जिनालय पर प्रस्तावित धर्म ध्वजा को शिरोधार्य कर श्रद्धालु भक्तों द्वारा धर्म ध्वजा विकास नगर क्षेत्र के प्रमुख मार्गो से यात्रा निकाली गई। धर्म ध्वजा महोत्सव में धर्म लाभार्थी डोसी परिवार थे।
धर्म सभा में परिवार के अशोक कुमार माणक लाल डोसी परिवार की मातृ शक्ति द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। मनोहर सिंह वीरेंद्र सिंह लोढ़ा द्वारा सभी समाज जनों से धर्म ध्वजा के धर्म सभा में परिवार सहित पधारने की विनती की। और आमंत्रण दिया। वार सुबह 8बजे विकास नगर महावीर जिनालय से धर्म ध्वजा यात्रा नगर के प्रमुख मार्ग से निकल कर विकास नगर स्थित अशोक कुमार माणक लाल डोसी परिवार के आवास पर पहुंचकर धर्म सभा में परिवर्तित हो गई।
कार्यक्रम का संचालन राजमल छाजेड़ ने किया तथा आभार महावीर जिनालय विकास नगर ट्रस्ट अध्यक्ष राकेश जैन आंचलिया ने व्यक्त किया।
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ध्वजा यात्रा आज विकास नगर में,
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महावीर जिनालय विकास नगर ट्रस्ट के तत्वाधान में घर-घर ध्वजा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित धर्म ध्वजा यात्रा की धर्म सभा गुरुवार सुबह 8बजे विकास नगर स्थित झुलेलाल मंदिर एवं अंग्रेजों के कब्रिस्तान के पास मनोहर सिंह लोढ़ा वीरेंद्र सिंह लोढ़ा के आवास पर आयोजित की जाएगी सभी श्रद्धालु समय पर उपस्थित होकर धर्म लाभ का पुण्य ग्रहण करें।
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बाल धार्मिक संस्कार शिविर 23 से नीमच में
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नीमच,साध्वी शुद्धि प्रसन्ना श्री जी महाराज साहब के सानिध्य में 23से 27मई तक धार्मिक संस्कार शिविर मिडिल स्कूल मैदान के समीप जैन भवन में आयोजित किया जाएगा। शिविर में भाग लेने वाले सहभागी अपना पंजीयन आवेदन महावीर जिनालय विकास नगर के अध्यक्ष राकेश जैन आंचलिया या संबंधित पदाधिकारीयों को जमा कराए।