KHABAR: उपाश्ररे तपस्या आराधना के संस्कारों का प्रमुख केंद्र - कीर्ति रत्न सागर जी महाराज, पढ़े खबर

MP44NEWS March 22, 2025, 5:59 pm Technology

जुलुस में उमड़े समाज जन , नीमच - उपाश्ररे में वातावरण शुद्ध रहता है और पवित्रता रहती है इसलिए वहां एकाग्रता पूर्वक आराधना और साधना होती है इसलिए सभी श्रावक श्राविकाओं को उपाश्ररे में ही भक्ति तपस्या की आराधना और साधना करनी चाहिए ताकि साधना भी पवित्र हो और मन भी शुद्ध हो सके।उपाश्ररे तपस्या आराधना और धार्मिक संस्कारों का प्रमुख केंद्र होते हैं।यह बात कीर्तिरत्न सागर जी महाराज ने कही। वे श्री जैन श्वेतांबर भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर श्री संघ नीमच के तत्वाधान में पूज्य आचार्य विश्वरत्न सागर सुरीश्वर जी महाराज साहब के शिष्य पूज्य गणिवर्य श्री कीर्ति रत्न सागर जी महाराज साहब आदि ठाणा 2 का 22 मार्च शुक्रवार को मिडिल स्कूल मैदान के समीप स्थित जैन भवन सभागार में आयोजित अमृत प्रवचन श्रृंखला में उपस्थित समाज जनों को संबोधित करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भक्ति और तपस्या करने से मन की रस इंद्रियां नियंत्रण में होती है। मन को नियंत्रण में करना कठिन तपस्या होती है मन को वश में करना ही सच्चा संयम होता है। तप के साथ पूजा आराधना साधना प्रतिक्रमण भी एकाग्रता के साथ करना चाहिए तभी तपस्या सार्थक सिद्ध होती है। जब जब धरती पर जैन तीर्थंकर जन्म लेते हैं तो नरक लोक के जीव को भी कुछ पल का आनंद का अनुभव होता है। मनुष्य का जन्म संसार के कर्मों का बंधन बढ़ाता है लेकिन तीर्थंकर का जन्म संसार को कल्याण का मार्ग दिखाता है। मन में दृढ़ संकल्प हो तो कठिन से कठिन और बड़ी से बड़ी तपस्या भी सफल हो सकती है।नवरत्न परिवार के युवाओं में संगठन के माध्यम से नव जागृति की आवश्यकता है, 23 से 28 अप्रैल तक विराट आयोजन के लिए युवाओं को सक्रियता के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करना होगा और समाज कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना होगा।ट्रस्ट अध्यक्ष अनिल नागौरी सचिव मनीष कोठारी ने बताया कि नीमच श्रीसंघ में 100 के लगभग तपस्वियों को वर्षीतप उच्चारणे (झेलाने) के लिए नीमच पधारे। पूज्य गणीवर्य मसा का श्रीसंघ के साथ जुलूस पुस्तक बाजार स्थित श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर से प्रारंभ होकर जैन भवन मार्ग होते हुए जैन भवन पर पहुंचा जहां पर मसा के प्रवचन हुए। जुलूस में सबसे आगे बैंड बाजे पर महावीर स्वामी के जीवन चरित्र पर आधारित विभिन्न भजन कीर्तन की स्वर लहरिया बिखर रही थी ।इसके साथ ही समाजजन बड़ी संख्या में साथ चल रहे थे। मार्ग में स्थान स्थान पर समाज जनों द्वारा अक्षत का गहुली बना कर महाराज श्री से आशीर्वाद ग्रहण किया गया। शुक्रवार को सुबह मसा के जुलूस में बड़ी संख्या में समाज जनों ने शामिल होकर धर्म लाभ का पुण्य आशीर्वाद ग्रहण किया। कीर्ति रत्न सागर जी महाराज के अमृत प्रवचन सुबह 9:15 बजे पुस्तक बाजार नूतन आराधना भवन में तीन दिन तक आयोजित हुए। इसके बाद प्रतिदिन रात को 8:30 नूतन आराधना भवन में महाराज श्री की अमृत प्रवचन भी आयोजित किए गए। सभी श्रद्धालु समाज जन समय पर उपस्थित थे। वर्षितप के पारने 22 मार्च को हुए। सभी समाज जन समय पर उपस्थित होकर धर्म ज्ञान गंगा का पुण्य लाभ ग्रहण किया ।

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