जावद के शासकीय कोलाज आघातोरियम में रविवार को क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल, हीशदेव मुनी जी की तपोस्थलीशानन्द धाम के सौंदर्यीकरण को लेकर शिवोहम आदि शंकराचार्य पर केन्द्रित नाट्य मंचन का स्थान रखा गया। महात्मा गांधी गठबंधन जन भागीदारी समिति एवं सुखानंद विकास समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शिवोहम आदिशंकराचार्य पर केन्द्रित नाट्य मंच में कलाकारों ने आदि शंकराचार्य के जीवन के प्रसंगों के साथ उनके आध्यात्मिक आध्यात्मिक चेतन नाटक का मंचन किया। कार्यक्रम में एमएसएमई एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा, सीपीटीआर मैसूर के निदेशक डॉक्टर श्रीदेवी अन्नपूर्णा सिंह एवं उनकी टीम भिक्षु-संत, थिजन, वरिष्ठजन, पार्टी भागीदारों, स्थानीय जनप्रतिनिधि, क्षेत्रीय नागरिकगण एवं रोजगार अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम में संबोधित करते हुए मंत्री सखलेचा ने कहा कि उन्होंने कहा कि इस काल में भारतीय अध्यात्म की सनातन परंपरा की वैदिक आधार भूमि विभिन्न वर्गीय परिवर्तनों में विभाजित होकर खंडित हो रही है। ऐसे समय में आदि शंकराचार्य की मेधा और काव्य प्रतिभा आध्यात्मिक वातावरण की अद्वैतवादी विचारधारा को आज के युग और आने वाले पीढ़ी में पुनर्स्थापित करने के लिए यह मंचन धार्मिक भावनाओं का संचार करेगा। मंत्री सखलेचा ने बताया कि लोक मान्यता है कि सुखदेव मुनि ने तपस्या के लिए इस स्थान का चयन किया जो कि अरावली पर्वत की श्रृंखलाओं के बीच है और आदि काल में सुखानन्द धाम की यात्रा के साथ ही चार धाम की यात्रा पूरी की गई थी। उन्होंने बताया कि सुखदेव मुनि के मंदिर का निर्माण विक्रम की ग्यारहवीं शताब्दी में दसनाम् तिलक महान संत बालक ग्राहि जी महाराज ने संलग्न किया जिसमें भगवान भोलेनाथ एवं हीनदेव मुनि की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। इस मंदिर का निर्माण लगभग 10 साल पहले हुआ था। मंत्री सखलेचा ने बताया कि महान संत बालगिरी द्वारा 1172 विक्रमी की वैशाख पूर्णिमा को भक्तों को उपदेश दिया गया, जिसके अनुसार सड़क वैशाख शुक्ल 04 से ज्येष्ठ शुक्ल 03 तक यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। हम सब मिलकर तय करें, कैसा होसकानाद धाम का स्वरूप सखलेचा ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को सही दिशा और ज्ञान देना हमारा परम कर्तव्य है, हितानंद का संदर्भ कैसा हो, इसके लिए हम सब आज यहां एकत्रित हैं और स्नेह एवं प्रेम के साथ हमें इस पर मंथन करना है। मंत्री सखलेचा ने सभी से आग्रह करते हुए कहा कि मई में आयोजित होने वाले मेले से पहले सुखानन्द धाम को आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित करने हेतु विधि, एवं पूजा, दर्शन व्यवस्था, सौन्दर्यकरण, भक्तों के भोजन-पीने, टेंट, निर्माण कार्य, पार्किंग, कथा स्थल की सुविधा सहित अन्य कोई आवश्यक सलाह अवश्य दें। मंत्री सखलेचा ने कहा कि आदि शंकराचार्य द्वारा समाज में धर्म के वास्तविक स्वरूप की चिपचिपाहट और अस्थिरता के लिए भारत की चारों दिशाओं में चार पीठों की स्थापना उनकी यश को स्थापित करती है। उनसे जुड़े विभिन्न प्रसंगों को नाटक शिवोहम आदि शंकराचार्य में प्रभावी ढंग से मंचित किया गया है। शिवोहम के माध्यम से आदि शंकराचार्य की शिक्षाओं को रूपायित कर संस्कारवान समाज के निर्माण का संदेश दिया गया। शिवोहम आदि शंकराचार्य के जीवन, बालपन, संपूर्ण देश की यात्रा और शास्त्रार्थ के बाद अंतिम सत्य को प्रतिपादित करने सहित सभी चीजें सावा घंटे में दर्शकों के सामने रखी गईं।