KHABAR:- कैसे जांचें मृदा की सेहत, 150 करोड़ रुपए से प्रदेशभर में 263 लैब बनाकर भूले, स्टाफ की भर्ती नहीं होने से सात साल से ये धूल खा रहीं, पढ़े खबर

MP44NEWS February 15, 2024, 2:51 pm Technology

सरकारें स्कीम तो लांच कर देती हैं लेकिन मैनपावर व अन्य व्यवस्था नहीं जुटाने के कारण हश्र बुरा होता है। ऐसी ही स्थिति प्रदेशभर में 7 साल पहले बनी 263 मिट्‌टी परीक्षण प्रयोगशाला (लैब) की है। सरकार ने पूरे सेटअप पर उस वक्त करीब 150 करोड़ रुपए खर्च किए थे लेकिन उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। लैब टेक्नीशियन समेत अन्य स्टाफ नहीं होने से सारे भवन व मशीनरी धूल खा रही है। अभी भी सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है जबकि इस खामी की वजह से प्रदेशभर में इस साल 9.72 लाख मिट्‌टी के सैंपल कलेक्ट ही नहीं हो पाए और जो 2.73 लाख सैंपल लिए थे उनमें से भी 1.83 लाख नमूने आज भी पेंडिंग ही हैं। ना जांच हुई ना हेल्थ कार्ड बने। केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम लांच की ताकि प्रत्येक किसान के खेत की मिट्‌टी का हेल्थ कार्ड बने। मिट्‌टी का लैब में परीक्षण कर पता किया जा सके कि उसकी उर्वरा क्षमता कैसी है। कौन-से तत्वों की आवश्यकता है जिन्हें पूरा कर उत्पादन बढ़ा सकें। स्कीम लांच हुई तो मिट्‌टी परीक्षण के टारगेट बढ़े। उस वक्त प्रदेश में केवल 50 (कृषि विभाग की 24 व मंडी बोर्ड की 26) लैब ही थीं जिससे पूर्ति नहीं हो रही थी। ऐसे में राज्य सरकार ने भी विकासखंड स्तर पर नई लैब व पूरा सेटअप लगाने का निर्णय लिया। जिन 50 लोकेशन पर लैब थीं, उन्हें छोड़कर बाकी 263 जगह 36-36 लाख रुपए में भवन बनाए। फिर 18-18 लाख रुपए की एएएस (एटामिक एब्जार्सन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर) मशीनें खरीदकर संबंधित ब्लॉक में भेज दीं। कहीं पर भी ये लैब चालू नहीं हुईं और लैब पर ताले जड़े हैं। संविदा भर्ती कर लैब चालू करेंगे : मंत्री प्रदेशभर में जहां भी ऐसी लैब अनुपयोगी पड़ी है, उनका परीक्षण करवाएंगे। यदि स्टाफ की दिक्कत रही है तो जहां जरूरी होगा वहां संविदा नियुक्ति करेंगे लेकिन किसानों को अब किसी तरह की परेशानी नहीं आने देंगे। -एदलसिंह कंषाना, कृषि मंत्री, मप्र

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