नीमच 2मई, विनय ही धर्म का प्रमुख आधार होता है। विनय बिना वैराग्य नहीं आता है विनय बिना जीवन शून्य होता है। विनय धर्म की प्रमुख जड़ होती है। विवेक बिना धर्म मार्ग नहीं मिलता है
यह बात अमित शिशु मसा की शिष्या साध्वी शुद्धि प्रसन्ना श्री जी मसा की शिष्या प्रवृद्धि
श्री जी मसा ने कही ।वे महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर के तत्वाधान में महावीर जिनालय के घर- घर ध्वजा महोत्सव के षष्टम दिवस विकास नगर में आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि विनय विवेक समर्पण की जागरूकता होती है तो वह व्यक्ति पहले दान करता है फिर भोजन ग्रहण करता है। जितना उदार मन से दान करता है परमात्मा उतने ही उदार मन से वापस सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करता है। महावीर स्वामी के गणधर शिष्य गौतम स्वामी अनंत लब्धि के निदान थे ।वह विनय विवेकऔर समर्पित शिष्य थे। वे 4 ज्ञानी थे । महावीर स्वामी के 14हजार शिष्य थे और गौतम
स्वामी के 50हजार शिष्यों को केवल ज्ञान हो गया था। जीवन में यदि मनुष्य मृत्यु का लक्ष्य सामने निर्धारित रखे तो जीवन में पाप नहीं होगा पुण्य कर्म ही होगा। मनुष्य को सदैव मन में छल कपट राग द्वेष नहीं रखना चाहिए सभी से प्रेम करना चाहिए। सभी से पुण्य सद्भाव रखना चाहिए। महावीर स्वामी ने 22हजार घंटे देशना प्रदान की थी। महावीर स्वामी के अनुसार सुख में लिन और दुख में दीन नहीं होना चाहिए गलती हो जाने पर क्षमा का प्रायश्चित अवश्य करना चाहिए। साध्वी समृद्धि श्री जी महाराज साहब ने कहा कि सिध्दियों को सदैव गुप्त रखना चाहिए इसको सार्वजनिक करने से अहंकार बढ़ता है। विनय और सतगुरु का मार्गदर्शन असंभव को संभव बना देता है। अधिक प्रेम और लड़ाई झगड़े से दूर रहना चाहिए तभी साधना और तपस्या हो सकती है। हमारी मनोवृति सदैव महावीर स्वामी की मनोवृति की जैसी होनी चाहिए। मन में महावीर की तरह सभी के लिए समान प्रेम सद्भाव होना चाहिए। कर्मों के अनुसार फल मिलता है।
आत्मा को संस्कारित करना चाहिए। सुख शांति समाधि के भाव रहेंगे तो अगले जन्म में भी उसका फल मिल सकता है इसलिए जीवन में बर्फ की तरह शांत भाव से रहना चाहिए तो समाधि भाव एक दिन अवश्य प्राप्त हो सकता है। मनुष्य सदैव दूसरों को बदलने के लिए आतुर रहता है जबकि स्वयं का दृष्टिकोण को बदलना चाहिए परिवर्तन की शुरुआत मनुष्य को स्वयं से करना चाहिए तभी परिवर्तन हो सकता है।
इससे पूर्व महावीर जिनालय पर प्रस्तावित धर्म ध्वजा को शिरोधार्य कर श्रद्धालु भक्तों द्वारा धर्म ध्वजा विकास नगर नगर क्षेत्र के प्रमुख मार्गो से यात्रा निकाली गई। धर्म ध्वजा महोत्सव में धर्म लाभार्थी मनोहर सिंह वीरेंद्र सिंह लोढ़ा परिवार थे। धर्म सभा में लोढ़ा परिवार की मातृ शक्ति द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। अजीत कुमार मनीष कुमार मारू जैन द्वारा सभी समाज जनों से धर्म ध्वजा के धर्म सभा में परिवार सहित पधारने की विनती की। और आमंत्रण दिया। गुरुवार सुबह 8बजे विकास नगर महावीर जिनालय से धर्म ध्वजा यात्रा नगर के प्रमुख मार्ग से निकल कर वीरेंद्र सिंह, मनोहर सिंह लोढ़ा के आवास पर पहुंचकर धर्म सभा में परिवर्तित हो गई।
कार्यक्रम का संचालन राजमल छाजेड़ ने किया तथा आभार महावीर जिनालय विकास नगर ट्रस्ट अध्यक्ष राकेश जैन आंचलिया ने व्यक्त किया।
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ध्वजा यात्रा आज शिक्षक नगर में,
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महावीर जिनालय विकास नगर ट्रस्ट के तत्वाधान में घर-घर ध्वजा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित धर्म ध्वजा यात्रा की धर्म सभा शुक्रवार सुबह 8 बजे शिक्षक नगर स्थित अजीत कुमार मनीष कुमार मारू के आवास पर आयोजित की जाएगी सभी श्रद्धालु समय पर उपस्थित होकर धर्म लाभ का पुण्य ग्रहण करें।