जबलपुर के ऑडिट विभाग में पदस्थ रहे बाबू संदीप शर्मा ने सैलरी सॉफ्टवेयर में हेरफेर कर 7 करोड़ से अधिक का घोटाला किया। संदीप ने अपने विभाग प्रमुख से लेकर जिला कोषालय तक को ठग लिया। इतना ही नहीं, हाईकोर्ट का फर्जी आदेश लगाकर भी उसने शासकीय विभाग के करोड़ों रुपए गबन कर लिए और किसी को खबर तक नहीं लगी।
कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना के निर्देश पर ओमती थाना पुलिस ने संदीप शर्मा सहित विभाग के पांच अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, लेकिन अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। जिला कोषालय अधिकारी ने 13 मार्च को पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई थी।
उधर, पुलिस का कहना है कि उसकी तलाश जारी है, वहीं सूत्रों के अनुसार, वह ग्वारीघाट स्थित सुखसागर वैली में अपनी बहन के घर पर छिपा हुआ था। मंगलवार को पुलिस जब तक वहां पहुंची, संदीप पहले ही फरार हो गया।
इस बीच, संदीप शर्मा के नाम से एक पत्र भी सामने आया है, जिसमें उसने गबन की जिम्मेदारी लेते हुए आत्महत्या की बात लिखी।
आरोपी संदीप शर्मा का पत्र आया सामने
संपरीक्षा विभाग में पदस्थ रहे संदीप शर्मा को 2012 में पिता की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। सॉफ्टवेयर संचालन में एक्सपर्ट संदीप ने बड़ी ही चालाकी से अपने अधिकारियों की नाक के नीचे करोड़ों का घोटाला कर दिया और किसी को भनक तक नहीं लगी।
25 फरवरी से गायब बाबू संदीप ने 2021 में इस फर्जीवाड़े की शुरुआत की थी और महज चार साल के भीतर 7 करोड़ रुपए से अधिक का गबन कर लिया। उसके गायब होने के बाद सोशल मीडिया पर उसका एक पत्र सामने आया है, जिसमें वह खुद को दोषी मान रहा है।
यह पत्र संदीप शर्मा के नाम से सामने आया है। दैनिक भास्कर इसकी पुष्टि नहीं करता है।
पत्र में लिखा- मैंने सभी के साथ विश्वासघात किया
संदीप शर्मा के नाम से जो पत्र सामने आया है, उसमें लिखा हुआ है, "मैं संदीप शर्मा, पूरे होशो-हवास में यह पत्र लिख रहा हूं। पासवर्ड और आईडी का इस्तेमाल मैंने किया है। जितने भी फर्जी बिल लगे हैं, मैंने उनकी आईडी का इस्तेमाल किया है। इसमें संबंधित किसी भी प्रकार का कोई दोषी नहीं है। सभी आईडी का इस्तेमाल मैंने किया है। मैंने सभी के साथ विश्वासघात किया है। मैं कार्यालय नहीं आ सकता, इसलिए यह सब लिख रहा हूं, और शायद अब कभी भी नहीं आऊंगा।"
पत्र में सुसाइड करने की बात भी लिखी
"मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है, इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। यह फैसला मेरा है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई दोषी नहीं है। गलती मैंने की है, तो सजा भी मुझे मिलनी चाहिए। सीमा मैम, प्रिया मैम, आदरणीय जेडी सर, इन सबकी आईडी और पासवर्ड मैंने गलत तरीके से उपयोग किए हैं। हो सके तो मुझे माफ कर देना। कोई भी रास्ता अब समझ में नहीं आ रहा है, इसलिए मैं, संदीप शर्मा, आत्महत्या कर रहा हूं। यह फैसला मेरा है, किसी का दबाव नहीं है। हो सके तो क्षमा करिएगा। परिवार वालों से नजर नहीं मिला सकता हूं, उनका मैं दोषी हूं..."
संदीप ने जितने भी कर्मचारियों के वेतन बनाए थे, उन पर फाइनल टीप संयुक्त संचालक मनोज बरहैया की होती थी लेकिन कभी उन्होंने इसे चेक नहीं किया।
संयुक्त संचालक समेत अन्य आरोपियों पर FIR के बीच सामने आया पत्र
जैसे ही 7 करोड़ से अधिक के घोटाले का पर्दाफाश हुआ, संदीप ने कार्यालय आना बंद कर दिया। जब विभाग के अधिकारियों ने उसे फोन किया, तो उसका मोबाइल स्विच ऑफ मिला। जहां वह रहता था, वहां पता किया गया तो जानकारी मिली कि वह घर पर नहीं है।
इसी बीच, 13 मार्च को जबलपुर के ओमती थाना में पुलिस ने संदीप सहित विभाग के चार अन्य लोगों – संयुक्त संचालक मनोज बरहैया, सीमा अमित तिवारी, प्रिया विश्नोई और अनूप कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इसके तुरंत बाद संदीप का पत्र सामने आया, जिसमें उसने अपनी गलती स्वीकार करते हुए आत्महत्या की बात लिखी थी।
पुलिस की दबिश से पहले फरार हो गया संदीप
कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना के निर्देश पर पुलिस ने संदीप शर्मा सहित अन्य पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली, लेकिन उसकी तलाश करना पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा था। पुलिस को सूचना मिली कि वह ग्वारीघाट स्थित अपनी बहन के घर पर छिपा हुआ है।
संदीप का मोबाइल बंद था और वह अब कुछ नए नंबरों का उपयोग कर रहा था। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर जब पुलिस ग्वारीघाट स्थित सुखसागर वैली पहुंची और दबिश दी, तो पता चला कि पुलिस के आने से पहले ही वह फरार हो चुका है।
संदीप की बहन से पूछताछ करने पर पता चला कि वह संभवतः उत्तर प्रदेश भाग गया है। पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि ग्वारीघाट से निकलने के बाद वह जबलपुर रेलवे स्टेशन पहुंचा और वहां से फरार हो गया।
प्रदेश के बाहर तलाशती रही पुलिस, लेकिन वह शहर में ही छिपा था
संपरीक्षा विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले की गूंज जबलपुर से लेकर भोपाल तक पहुंच गई। आनन-फानन में इस घोटाले में शामिल संयुक्त संचालक मनोज बरहैया, सीमा अमित तिवारी, प्रिया विश्नोई और संदीप शर्मा को निलंबित कर दिया गया।
मनोज बरहैया को जबलपुर से हटाकर भोपाल में अटैच कर दिया गया, जबकि संपरीक्षा विभाग के नए जेडी के रूप में अमित विजय पाठक को नियुक्त किया गया।
इधर, फरार संदीप शर्मा की तलाश में पुलिस प्रदेश के बाहर खोजबीन कर रही थी, लेकिन वह कई दिनों तक जबलपुर में ही अपनी बहन के घर छिपा रहा। जब तक पुलिस उसे पकड़ पाती, वह शहर से फरार हो चुका था।
अब पुलिस की एक टीम उत्तर प्रदेश रवाना होने की तैयारी में है।
जांच के लिए भोपाल से जबलपुर पहुंची टीम
जबलपुर पुलिस जहां फरार आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है, वहीं भोपाल से एक उच्च स्तरीय जांच दल भी शहर पहुंचा। टीम ने जांच पूरी कर रिपोर्ट तैयार की और वापस भोपाल रवाना हो गई। अब भोपाल स्थित नगर कोषालय की भी जांच की जाएगी।
टीम को संदीप के बयान दर्ज करने थे, लेकिन वह फरार है। वित्त विभाग ने इस घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संचालक अमित सिंह ठाकुर और सहायक संचालक सुरभित अग्रवाल को जबलपुर भेजा था। जिला प्रशासन के सहयोग से सॉफ्टवेयर इंजीनियर राकेश अवधिया और सहायक कोषालय अधिकारी संजय पाल ने जांच रिपोर्ट तैयार की, जिसे वित्त विभाग को सौंपा जाएगा।
2021 से पहले का रिकॉर्ड नहीं मिला
भोपाल से जबलपुर आई जांच टीम को 2021 के बाद का पूरा रिकॉर्ड मिल गया, लेकिन 2021 से पहले का कोई भी डेटा उपलब्ध नहीं हो सका। दरअसल, 2021 से पहले नगर कोषालय में सारा लेखा-जोखा होता था, जो अब बंद हो चुका है।
इसका पूरा डेटा भोपाल स्थित वित्त कार्यालय में है। माना जा रहा है कि अब नगर कोषालय के डेटा की भी जांच होगी, जिससे घोटाले की राशि और भी बढ़ सकती है।
ये खबर भी पढ़ें...
ऑडिट विभाग के बाबू ने किया 7 करोड़ का घोटाला:फर्जी दस्तावेज से काल्पनिक कर्मचारियों को दिलाई नौकरी
जबलपुर के ऑडिट डिपार्टमेंट में बाबू संदीप शर्मा ने अपने विभाग प्रमुख से लेकर जिला कोषालय तक ठगी कर ली। उसने हाईकोर्ट का फर्जी आदेश लगाकर शासकीय विभाग के करोड़ों रुपए डकार लिए और किसी को खबर ही नहीं लगी।
विभागीय ऑडिट में पहली बार फरवरी 2025 में संदीप शर्मा की करतूत सामने आई थी