नीमच , बीते एक माह से चल रहा प्रचार का शोरगुल थम गया। मतदान भी पिछली बार से केवल ढाई प्रतिशत कम यानि 75 फीसद हुआ, जो सम्मानजनक है। अब परिणाम4 जून को आना है। चुनाव पहले का शोर भले ही थम गया लेकिन विश्लेषण, कयास, वोटिंग के लिए मतदाताओं को घरों से निकालकर लाने के प्रयास जैसी बातों की बाढ़ आ गई है। घर परिवारों में, दफ्तरों में, गांव की चौपालों पर, चाय की दुकानों पर बस यही सब चर्चाएं हैं। जो भाजपा की तरफ झुकाव रखते हैं वे अपना प्रत्याशी कैसा भी हो, इस बात को दरकिनार रख अंतिम एक ही वाक्य पर पूर्ण विराम लगा रहे हैं कि आएगा तो मोदी ही। दूसरी तरफ कांग्रेस और अन्य विपक्षियों से ताल्लुक रखने वालों के अपने अलग समीकरण हैं। उनका जोड़, बाकी, गुणा, भाग उनकी पार्टी को जीत की तरफ ले जाता है।
सीधे मंदसौर सीट पर आते हैं, भाजपा के सुधीर गुप्ता तीसरी बार लोकसभा भवन की सीढ़ियां चढ़ने के विश्वास से भरे हैं। हालांकि इस बार पिछले लोकसभा की तुलना में मैजिक जैसे शब्द पीछे छूटे हैं। फिर भी वे आत्मविश्वास से लबरेज हैं तो उनके सामने कांग्रेस के दिलीपसिंह गुर्जर के तमाम कयास सिर्फ मतदाताओं के भरोसे पर टिके हैं। जीत का आत्मविश्वास वे भी अपने कार्यकर्ताओं के बीच दिखा रहे हैं। एक सकारात्मक बात जरूर इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए कही जा सकती है कि जावरा से जावद तक गुटबाजी नदारद रही।
बहरहाल हार जीत के इन दावों में किसका दांव सही बैठता है इसका सही उत्तर जानने के लिए 21 दिन का इंतजार करना पड़ेगा।