नीमच, प्रभु नेमिनाथ ने अपने विवाह के अवसर पर भोजन के लिए मंगाए गए पशुओं का क्रंदन सुनकर मुक प्राणियों की जीव दया के लिए अपनी खुशियों का त्याग कर दिया और विवाह को छोड़ गिरनार की ओर पहुंचकर संयम को जीवन में आत्मसात किया जो संसार के लिए आज भी आदर्श प्रेरणादाई प्रसंग है। यह बात साध्वी सोम्यरेखा महाराज साहब की सुशिष्या साध्वी सुचिता श्रीजी मसा ने कही।वे जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर संघ के तत्वाधान में श्रीमहावीर जिनालय विकास नगर आराधना भवन नीमच में नेमिनाथ जन्म कल्याणक के पावन उपलक्ष्य में आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि नेमीनाथ जन्म की खुशियां पूरे संसार को मिलती है। परमात्मा के च्यवन कल्याणक से नरक के जीवों को भी कुछ पल के लिए सुख अनुभूति होती है और उनके पाप कर्मों का क्षय होता है। प्रभु नेमिनाथ के जन्म कल्याणक के अवसर पर प्रभु नेमिनाथ की प्रतिमा को पालने में झूला झूलाने के साथ सभी ने आशीर्वाद ग्रहण किया। इस पावन अवसर पर भजन गायक कलाकार शुभम नाकोड़ा चौहान एवं हितेश नागौरी ने नेमिनाथ के जन्म कल्याणक पर आधारित विभिन्न भजन प्रस्तुत किए। राजुल की माता शिवा देवी काअभिनय अभिलाषा छाजेड़ एवं पिता समुद्र विजय महाराज का अभिनय रजत छाजेड़ ने प्रस्तुत किया। वंदना राकेश जैन आंचलिया ने सुनकर पशुओं के क्रंदन तुमने तोड़े बंधन जहां नेमी के चरण पड़े गिरनार की नगरी है... गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर 15 से अधिक महिलाओं ने 14 सपनों के दर्शन कराते हुए नेमिनाथ ने पशुओं के क्रंदन को सुनकर जीव दया करते हुए राजूल से विवाह को त्याग कर संयम जीवन को आत्मसात किया विषय अपने-अपने हृदय के उद्गार व्यक्त किये जिसे सुनकर सभी भाव विह्वल हो गए।जिसमें सविता तडवेचा ने एकाकी नृत्य नाटिका में मेरे पिया लौट गए यह नहीं हो सकता.. गीत प्रस्तुत करते हुए कहा कि में निर्दोष हूं पशुओं के क्रंदन के लिए तो मेरे माता-पिता दोषी है मुझे कुछ नहीं चाहिए श्रृंगार भी नहीं चाहिए। दीपिका चोपड़ा ने मेरा पिया लौट गया यह नहीं हो सकता... गीत प्रस्तुत किया। वीणा कंकड़ेचा ने आठ आठ भाव का बंधन है यह नवां भव है बीच मझधार में छोड़ दिया... गीत प्रस्तुत किया। मेरे नेमी परम दया जीवो की दया की। क्या वह मुझे धोखा दे सकते हैं वैराग्य जगाने आए हैं में भी उनके साथ प्रदक्षिणा साथ लूंगी... गीत प्रस्तुत किया। ऐश्वर्या गांग ने प्रभु चरणों की दासी बनना चाहती हूं दुर्भाग्य उदय हुआ इसलिए उनकी पत्नी नहीं बन पाई जब तक मेरा कल्याण नहीं हो मेरा हाथ कभी मत छोड़ना... गीत प्रस्तुत किया।नीतु सकलेचा ने राजुल बनने का सौभाग्य मिला जन्म जन्म का संबंध है इस जन्म में आपकी राजुल बनी हूं इंतजार कर रही थी आपने रथ मोड़ लिया है धन्य है आपकी तपस्या... गीत प्रस्तुत किया। सरिता मुरडिया ने मेरा जीवन जिनके भरोसे यह कैसे होगा आपके वियोग में मेरे लिए तो जन्म जन्म के तुम हर सांस में तुम हो आ लोट के आजा मेरे नेमी तुझे तेरी राजुल बुलाती है मेरा सुना पड़ा रे संसार... गीत प्रस्तुत किया। निशा धींग ने नेमी का नों जन्मों का प्यार है मेरे साथी मेरे साजन तुम मेरे खुशियों के साजन हो सुना सुना ये श्रृंगार है कैसे बिसरा दिया रे.... । दीप्ति डोशी एवं सविता तड़वेचा द्वारा गीत प्रस्तुत किया क्रार्यक्रम का शुभारंभ हिना मारु और अक्षिता बारिया ने स्वागत नृत्य से किया। कार्यक्रम का संचालन वंदना राकेश आंचलिया ने किया तथा आभार संघ अध्यक्ष राकेश जैन आंचलिया ने व्यक्त किया। इस वर्षावास में सागर समुदाय वर्तिनी सरल स्वभावी दीर्घ संयमी प.पू. शील रेखा श्री जी म.सा. की सुशिष्या प.पू.सौम्य रेखा श्री जी म सा, प.पू. सूचिता श्री जी म सा, प.पू.सत्वरेखा श्री जी म साआदि ठाणा 3 का चातुर्मासिक तपस्या उपवास जप व विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ प्रारंभ हो गया है। संघ अध्यक्ष राकेश आंचलिया जैन, सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने बताया कि प्रतिदिन 9:15 बजे चातुर्मास में विभिन्न धार्मिक विषयों पर विशेष अमृत प्रवचन श्रृंखला का आयोजन होगा । समस्त समाज जनअधिक से अधिक संख्या में पधार कर धर्म लाभ लेवें एवं जिन शासन की शोभा बढ़ावे