नीमच - वर्तमान में जिले में किसानों से डीएपी के स्थान पर एनपीके तथा सिंगल सुपर फास्फेस उर्वरक उपयोग किये जाने की अपील की गई है। डीएपी से नाईट्रोजन और फास्फोरस की पूर्ति होती है, जबकि एनपीके में नाईट्रोजन, पोटाश एवं फास्फोरस होता है। किसान एनपीके का उपयोग कर बेहतर फसल उत्पादन प्राप्त कर सकते है। एनपीके 12:32:16 और 16:16:16 उर्वरकों से फसलों में मुख्य पोषक तत्व नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश तत्व की पूर्ति होती है। इसी प्रकार 20:20:0:13 से नाईट्रोजन, फास्फोरस एवं सल्फर की पूर्ति होती है। डीएपी से केवल दो तत्व नत्रजन एवं फास्फोरस ही मिलते है। डीएपी से पोटाश तत्व की पूर्ति नहीं होती है। पोटाश फसलों की रोग प्रतिरोधकता क्षमता बढ़ाने हेतु आवश्यक होता है। इसके अलावा सिंगल सुपर फास्फेट जिसमें 16 प्रतिशत फास्फोरस, 12 प्रतिशत सल्फर एवं 21 प्रतिशत कैल्शियम पाया जाता है। इसके उपयोग से फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती है। जिले में रबी 2024-25 में मुख्य फसल गेंहूं, सरसों, चना, अलसी आदि है। इसके लिए एनपीके उर्वरक का उपयोग किया जा सकता है। किसान भाईयों से अपील है कि एनपीके, सिंगल सुपर फास्फेट तथा नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी का भी अधिक से अधिक उपयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते है। नैनो डीएपी (500ML बॉटल/क्वि. बीज) से बीच उपचार करने से लगभग डीएपी की आधी मांग को कम किया जा सकता है।