विधानसभा चुनाव से पहले इस बार भाजपा हाईकमान संघ परस्ती और शख्सियत परस्ती पर विश्वास करने के मूड में नही है। जिसका ज़मीन पर बोलबाला उसकी लाईफ झिंगालाला। मप्र सहित नीमच में एक तरफ जहां दिल्ली और भोपाल से सर्वे कराए जा रहे है तो वहीं दूसरी तरफ लगातार न्यूज एजेंसियो के सर्वे जारी है। अपने विश्वसनीय सुत्रों के हवाले से एमपी 44 कांग्रेस के उम्मीदवार और सर्वे के आधार पर बढ़त पूर्व में दिखा चुका है। इस बार भाजपा दावेदारो की जमीनी हक़ीकत आप तक पहुंचा रहे है। आपको बता दें की भाजपा और संघ के सर्वे में लगातार रिपोर्ट कलेक्ट की जा रही है। इस रिपोर्ट में भाजपा दावेदारो की बड़ी बात सामने निकलकर आ रही है। सर्वे में भाजपा नीमच वर्तमान विधायक दिलीपसिंह परिहार की रिपोर्ट नेगेटिव बताई जा रही है। इस सर्वे में भाजपा जिलाध्यक्ष पवन पाटीदार का नाम जमकर उछल रहा है तो वहीं महेंद्र भटनागर और राकेश पप्पू जैन भी सर्वे के आधार पर दौड़ में दर्शाए जा रहे है। आखि़र सर्वे में क्या रिपोर्ट निकलकर सामने आ रही है। पढ़िए विशलेषणः-
नीमच विधायक दिलीपसिंह परिहार साधारण और सरल प्रवृति के शख़्स है। बापू बजरंगी से लेकर विधायक परिहार तक का सफर लोगो के दिलो पर राज़ कर तय किया है। तीन बार विधायक होकर अजेय है। एक बार 21 हजार तो दूसरी बार 25 हजार से ज्यादा वोटो से कांग्रेस दिग्गज पूर्व विधायक नंदकिशोर पटेल को शिकस्त दी तो वहीं पूर्व विधानसभा चुनाव में 14 हजार से ज्यादा वोटो से जावद कांग्रेस नेता सत्यनारायण पाटीदार को मात दी। तीन बार के कार्यकाल के बाद आगामी विधानसभा चुनाव से पहले विधायक परिहार के खिलाफ बड़ी एंटी एन्कम्बेसी पनप रही हैं। भाजपा का एक बड़ा धड़ा विधायक परिहार के कार्यकाल से नाखुश है। कुछ दिनो में यह विरोध सड़क पर भी देखने को मिले तो हैरानी नही होगी। पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता और जमीनी कार्यकर्ताओ की अनदेखी के आरोप विधायक परिहार पर लग रहे है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा विधायक से आम जनता ऊब चुकी है। ताजा उदाहरण विकास यात्रा है। जहां विरोध के स्वर बुलंद हुए। इसके साथ ही भाजपा के गढ़ में भी विधायक परिहार के खिलाफ गुस्सा भरा है। कार्यकर्ताओ के काम नही किए गए है। सड़क, बिजली पानी और अधिकारियो के भ्रष्ट रवैए से भाजपा कार्यकर्ता नाराज देखे जा रहे है। ऐसे में विधायक दिलीपसिंह परिहार के लिए आगामी 2023 विधानसभा चुनाव में अपने लिए टिकट लाना आसमान से चांद तारे तोड़कर लाने के बराबर माना जा रहा है। जबकि सर्वे में यह सारी खामियां लगातार दर्ज होती जा रही है। आपको बतादे की विधायक दिलीपसिंह परिहार सीएम शिवराजसिंह चौहान और कई मंत्रियों के खास माने जाते है।
भाजपा जिलाध्यक्ष पवन पाटीदार विधानसभा चुनाव 2023 में अपना भविष्य तलाश रहे है। साल 2009 में जिला पंचायत सदस्य वार्ड नम्बर 06 से रह चुके है। वह कांग्रेस नेता नारायणदास बाहेती को 10 हजार से ज्यादा वोटो से चुनाव हरा चुका है। इसके साथ ही तीन सालो से भाजपा जिलाध्यक्ष पद पर काबिज है। जिलाध्यक्ष रहते हुए पवन पाटीदार ने विधानसभा के कोने - कोने में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। कार्यकर्ताओ का जाल बिछा दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में पवन पाटीदार का भाजपा के लोग खुलकर नाम ले रहे है। जिसकी खासी वजह कार्यकर्ताओ के तवज्जो के साथ काम होना। कार्यकर्ताओ के प्राथमिकता से काम होना और रोजाना मिलनसारी रखना यह पवन पाटीदार की सर्वे रिपोर्ट में दर्ज हो रहा है। पवन पाटीदार 2013-2018 दो विधानसभा चुनाव से भाजपा की विधानसभा दावेदारी कर रहे है। इसके साथ ही पार्टी के कई लोगो का यह भी मानना है की पवन पाटीदार के जिलाध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में गुटबाजी की हवा लगी। कई लोग उन्हे चतुर मानते है तो इसके साथ ही भाजपा तीनो विधायकों से उनका तालमेल कोई खास किस्म का नही बैठता और विधायक परिहार से तो कतई नही बैठता। पवन पाटीदार भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के खास माने जाते है। सत्ता - संगठन में भी पाटीदार का दखल है। इसके साथ ही नीमच की तीनो सीटो पर भाजपा से सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को दशकों से मौका मिल रहा है। जबकि नीमच की 62 फीसदी जनता ओबीसी श्रेणी से संबंध रखती है। ऐसे में पवन पाटीदार भाजपा के पास ओबीसी का बड़ा चेहरा भी है। पवन पाटीदार की छवि और राजनीति हिंदुत्व के आसपास मंडराती है और वह अपने आपको हिंदुवादी कहलवाने पसंद करते है। पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओ और राजनीतिक जानकारो की बात अगर करे तो उनका मानना है की पवन पाटीदार को अगर संगठन चुनाव लड़वाना चाहता तो अभी तक उनका इस्तीफा मंजूर हो चुका होता है। इसका मतलब यह समझा जाना चाहिए की पवन पाटीदार के चेहरे को लेकर मंथन अभी बरकरार है
नीमच में भूमाफियों के खिलाफ बिगुल बजाने वाले और शहर की तस्वीर बदल देने वाले पूर्व नपाध्यक्ष राकेश जैन का नाम भी सर्वे टीम ने शामिल किया है। राकेश पप्पू जैन सामान्य श्रेणी के होकर महाजन वोटर की पसंद माने जाते है। नगरपालिका चुनाव में जनता ने उनपर वोट की बारिश की। इसके साथ ही मुस्लिम समाज में भी राकेश जैन का प्रभाव माना जाता है। पूर्व नपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष होने के साथ ही वह संगठन में कई पदो पर पदासिन रहे और संघ के कर्मठ कार्यकर्ता माने जाते है। वर्तमान में समाज सेवा में अन्नपूर्णा के माध्यम से बेहद सक्रिय है। अपनी 27 साल की राजनीति में राकेश जैन ने कई किरदार निभाए और सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य नगरपालिका अध्यक्ष का रहा है। जिसमें कई संवेदनशील मामलों को अपनी सूझबूझ से निपटाया। राकेश जैन का प्रभाव जहां शहरीय क्षेत्रों में है तो वही ग्रामीण इलाको में भी पार्टी और आम जनता उन्हें पसंद करती है। सर्वे में उनकी ईमानदारी और कार्यकर्ताओ के प्रति संवेदना दर्ज की जा रही है। विधानसभा चुनाव 2018 में भी राकेश जैन एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरे थे लेकिन उन्हे उम्मीदवार नही बनाया गया था। नपाध्यक्ष रहते राकेश पप्पू जैन और विधायक दिलीपसिंह परिहार के लफड़े और झगड़े सार्वजनिक देखे गए और मिडिया की सुर्खियां बने रहे। पवन पाटीदार और विधायक दिलीपसिंह परिहार की लड़ाई में राकेश पप्पू जैन को कार्यकर्ता विकल्प मान रहे है। हाल ही में लोकायुक्त का कलंक भी राकेश जैन के किरदार से हट चुका है। जो संजीवनी बुटी का काम इस विधानसभा चुनाव में कर सकता है। राकेश पप्पू जैन वैसे तो सत्ता - संगठन से तालमेल मिला कर चलते है लेकिन उन्हे भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का खास माना जाता है।
नीमच में भाजपा वरिष्ठ नेताओं में महेंद्र भटनागर का नाम शुमार होता है। महेंद्र भटनागर 45 सालो से भाजपा की राजनीति कर रहे है। नीमच नगरपालिका में चाहे कांग्रेस के रघुराजसिंह चौरड़िया अध्यक्ष हो या फिर नीता हरीश दुआ दोनो ही बार भाजपा नेता महेंद्र भटनागर उपाध्यक्ष रहे। वह दो बार से विधानसभा चुनाव के प्रबल दावेदार रहे। महेंद्र भटनागर सामान्य श्रेणी के होकर उनका शहर में खासा प्रभाव है। संघ के लोग उन्हे पसंद करते है। ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के वरिष्ठ जमीनी कार्यकर्ता जो जनसंघ के जमाने से सक्रिय है। वह महेंद्र भटनागर को पसंद करते है। कई गांवो और कस्बो में महेंद्र भटनागर का एक तरफा नाम है। समाजसेवा क्षेत्र में भी महेंद्र भटनागर ने झंडे गाड़े है। सामाजिक संस्था लायंस क्लब में वह दो बार अध्यक्ष रह चुके है। सामाजिक कार्यो के लिए महेंद्र भटनागर को 35 इंटरनेशनल अवॉर्ड मिल चुके है। महेंद्र भटनागर यूं तो पटवा गुट के माने जाते हैं लेकिन अगर वरिष्ठों से बात की जाए तो जानकारी मिलती है की पटवा गुट ने महेंद्र भटनागर को धकेलने का काम किया है। वरना मंत्री सखलेचा के बराबर महेंद्र भटनागर का कद होता। उन्हे कई राज्यों में चुनावी प्रभारी बनाया गया है। पार्टी के अंदरूनी मसले मसाईल हल करने के लिए महेंद्र भटनागर को याद किया जाता है। नीमच से वह भी अपने आपको उम्मीदवार विधानसभा का देखते है। सर्वे टीम ने महेंद्र भटनागर का नाम भी शामिल किया है। लेकिन बताया जा रहा है की महेंद्र भटनागर जिस समाज से आते है। उसका नीमच विधानसभा में खास वर्चस्व नही है। जब जातिवादी फेक्टर चलता है तो महेंद्र भटनागर को पीछे धकेला जाता है। भटनागर कायस्थ समाज में संबंध रखते है। जो की नीमच विधानसभा मे सिर्फ 500 परिवार है। उनकी आबादी करीब ढाई हजार के लगभग है। महेंद्र भटनागर प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के खास माने जाते है।