KHABAR :संस्कारों के बिना मनुष्य पशु समान होता है- स्वामी सत्यानंद सरस्वती महाराज, चातुर्मास धर्म सभा प्रवाहित,पढ़े खबर

MP 44 NEWS August 9, 2023, 7:16 pm Technology

नीमच। संसार में रहने के लिए मनुष्य को संस्कारों का पालन करना चाहिए यदि व्यक्ति संस्कारों का पालन नहीं करता है तो वह मनुष्य पशु के समान होता है।मनुष्य जीवन में 16 संस्कारों का पालन करना चाहिए। यदि पालन नहीं करता है तो वह पशु समान होता है। बच्चों में संस्कारों के साथ व्यक्तित्व का निर्माण करती है वह महिला संस्कारों की निर्माता होती है इसीलिए उसे माता कहते हैं।यह बात स्वामी सत्यानंद सरस्वती महाराज ने कही। वे ग्वालटोली श्री राधा कृष्ण मंदिर में चंद्रवंशी ग्वाला समाज के मार्गदर्शन में कथा श्रीमद् भागवत सेवा समिति की उपस्थिति में आयोजित श्री राम कथा चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जो के नाम सही अर्थ वाले रखना चाहिए बबलू डब्बू इस प्रकार के नाम का कोई अर्थ नहीं होता है इसलिए इस प्रकार के अनुचित नाम नहीं रखना चाहिए। बच्चों के नाम महापुरुषों के नाम पर रखना चाहिए ताकि बच्चा उसे नाम के अनुरूप अपने संस्कारों के साथ जीवन को विकासशील बना सके। संस्कारों की कमी के कारण ही लोकसभा और राज्यसभा में जनप्रतिनिधि पशुओं की तरह बेहोश होकर लड़ते हैं। जबकि संस्कारवान बच्चे प्राथमिक कक्षा में भी नहीं लड़ते हैं। यूनान में मरी हुई स्त्री को मम्मी कहते हैं। लेकिन भारत में कुछ परिवारों के बच्चों में मम्मी बोलना स्टेट सिंबल में शामिल हो गया है। जो कीअनुचित है। जन्म देने वाली महिला को महान दर्जा प्राप्त है इसलिए उसे माता कहना ही उचित रहता है। जो शुभ का परिचायक है उसका नाम राम है।आधुनिक युग में महानगरों में युवक युवती के प्रेम प्रसंग में धोखाधड़ी हो रही है युवक प्रेम में हिंसा कर यूतियों के टुकड़े-टुकड़े कर रहे हैं यह संस्कारों की कमी के कारण ही हो रहा है। संस्कार मजबूत होते तो बालिकाएं झूठे प्रेम के प्रसंग में नहीं फंसती और अपनी जान नहीं घंवाती।सच्चाई तो यह है कि जहां प्रेम होता है वहां युद्ध नहीं होता है और जहां युद्ध होता है वहां प्रेम नहीं होता है। युवतियां सावधान रहे। अन्य समाज के युवा प्रेम जाल में फंसा कर हमारे धर्म की बालिकाओं को मौत की नींद सुला रहे हैं। मौत से बचना है तो इन झूठे प्रेम प्रसंग से बचना चाहिए और अपने धार्मिक संस्कारों के साथ परिवार और समाज की सहमति से ही सामाजिक विवाह करना चाहिए। तभी जीवन सफल हो सकता है।विपरीत संकट की परिस्थिति में ज्ञान ही हमारा सहायक होता है।महापुरुषों के सानिध्य में संस्कार और ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करना चाहिए। रामकथा चातुर्मास का समय महान अनुष्ठान है।धार्मिक अनुष्ठान के संस्कारों की शिक्षा का ज्ञान का फल चार धाम की यात्रा से अधिक महत्वपूर्ण होता है। मन पवित्र हो तो चातुर्मास सत्संग का फल हजार गुना मिलता है। रामकथा की गंगा मनुष्य के जीवन को पवित्र करती है। इसअवसर पर समाज के वरिष्ठ जन वयोवृद्ध धन्नालाल पटेल राम प्रसाद चौधरी का ओमप्रकाश पप्पू हलवाई द्वारा साफा बांधकर सम्मान किया गया।धर्म सभा में भजन गायिका श्रीमती बुद्धि माया प. कैलाश शर्मा व प्रभा बैरागी ने संगीतमय मधुर कर्णप्रिय आरती एवं भजन प्रस्तुत किए। दिव्य सत्संग चातुर्मास धर्म सभा सत्संग समारोह के मुख्य संकल्प कर्ता पप्पू हलवाई,श्री मदभागवत उत्सव समिति के सदस्य हरगोविंद दीवान,गोपाल चंद्रवंशी ने बताया कि प्रतिदिन दिव्य चातुर्मास सत्संग का समय रात्रि 8:30 से 10 बजें रहेगा। निर्धारित समय पर उपस्थित होकर धर्म ज्ञान का लाभ ग्रहण करें।आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।

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