भोपाल. महाकाल लोक निर्माण में हुए घोटाले की जांच शुरू कर दी गयी है. लोकायुक्त ने जिन 15 अफसरों को नोटिस भेजा था उनमें से 11 आज भोपाल में पेश हुए और अपना जवाब पेश किया. लेकिन उज्जैन कलेक्टर नहीं आए. लोकायुक्त ने जिन अफसरों को नोटिस भेजा उनमें तीन आईएएस अफसर हैं.उज्जैन के महाकाल लोक निर्माण घोटाले में लोकायुक्त संगठन में अफसरों की पेशी हुई. सूत्रों के अनुसार लोकायुक्त के सामने आईएएस अफसर क्षितिज सिंघल, अंशुल गुप्ता समेत 11 अफसर ने अपना जवाब पेश किया.
11 अफसर पेश
महाकाल लोक निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत है. इस मामले में लोकायुक्त संगठन ने 15 अफसरों को नोटिस जारी किया था. सूत्रों के अनुसार उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह और तीन अधिकारी बयान दर्ज कराने के लिए नहीं पहुंचे. बताया जा रहा है इन अफसरों के नहीं पहुंचने पर लोकायुक्त ने नाराजगी जताई. सूत्रों ने यह भी बताया कि जो अधिकारी लोकायुक्त संगठन के सामने पेश नहीं हुए उन्होंने इसका कारण लिखित में बताया है. लोकायुक्त ने 3 आईएएस अफसर समेत 15 अफसरों को नोटिस भेजे थे.
इन अफसरों को भेजा नोटिस…
शिकायत है कि महाकाल लोक निर्माण टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी, मनमर्जी से भुगतान, चहेतों को टेंडर दिए गए, घटिया निर्माण कार्य हुआ और पद का दुरुपयोग कर शासन को नुकसान पहुंचाया गया. इस मामले में उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह, उज्जैन स्मार्ट सिटी के तत्कालीन कार्यपालक निदेशक क्षितिज सिंघल, तत्कालीन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता, उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड के मनोनीत निदेशक सोजन सिंह रावत, दीपक रतनावत, स्वतंत्र निदेशक श्रीनिवास नरसिंह राव, स्मार्ट सिटी उज्जैन के सीईओ आशीष पाठक, तत्कालीन सीईओ जितेंद्र सिंह चौहान, मुख्य वित्तीय अधिकारी जुवान सिंह तोमर, तत्कालीन अधीक्षण यंत्री धर्मेद्र वर्मा, तत्कालीन कार्यपालक यंत्री फरीदुउद्दीन कुरैशी, सहायक यंत्री कमल सक्सेना, उपयंत्री आकाश सिंह, उज्जैन स्मार्ट सिटी के टीम लीडर संजय तरुण सोनी को नोटिस भेजा है.
ये है पूरा मामला…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी महीने 11 अक्टूबर को उज्जैन में महाकाल लोक का लोकार्पण किया उसी में अब भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने लगे हैं. कांग्रेस विधायक महेश परमार ने महाकाल लोक के निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की शिकायत भोपाल में लोकायुक्त संगठन में की थी. उनकी शिकायत के अनुसार उज्जैन स्मार्ट सिटी के सीईओ अंशुल गुप्ता ने पद का दुरुपयोग कर ठेकेदार एमपी बावरिया को नियम विरुद्ध लोहे की जीआई शीट के आइटम को पॉलीकार्बोनेट शीट से बदलकर एक करोड़ का फायदा पहुंचाया.
हो सकती है एफआईआर
इस मामले की जांच लोकायुक्त संगठन की तकनीकी शाखा के चीफ इंजीनियर एनएस जौहरी कर रहे हैं. अफसरों के जवाब की जांच करने के बाद एफआईआर दर्ज हो सकती है. क्योंकि लोकायुक्त संगठन ने शिकायत की प्राथमिक जांच के आधार पर नोटिस जारी किए थे. 15 अफसरों को नोटिस जारी कर सभी से 28 अक्टूबर तक जवाब मांगा गया था.