नीमच। करवा चौथ का त्योहार मंगलवार, 13 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाओं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। यह निर्जला व्रत होता है। मतलब जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है। शाम को चंद्रमा की पूजा के बाद ही उपवास खोला जाता है। इस बार कई राज्यों में मौसम खराब है। सब दूर यही सवाल है कि चंद्रमा के दर्शन होंगे या नहीं
करवा चौथ पूजा विधि
पंडित मनीष जोशी ने बताया की करवा चौथे के दिन व्रत रखा जाता है और रात को चंद्रमा के दर्शन और पूजा के साथ व्रत तोड़ा जाता है। शास्त्रों में लिखा है कि इस दिन सुबह जल्दी उठे। सूर्योदय से पूर्व स्ना करें। नए वस्त्र पहनें। सुबह अपने ईष्ट देव की पूजा करें। दिनभर उनका स्मरण करते रहें। रात में चंद्र दर्शन करें और पूजा करें। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। इसके बाद मां पार्वती, भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा करें। चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रमा के दर्शन के बाद पति को छलनी से देखें। इसके बाद पति के साथ से पानी पिकर व्रत तोड़ें।
करवा चौथ पूजन सामग्री
जल का पात्र, नारियल, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, अगरबत्ती, दीपक, किसी भी तरह का प्रसाद, मिट्टी का करवा और दक्षिणा अनिवार्य रूप से पूजा में शामिक किए जाने चाहिए। इनके अलावा यथाशक्ति चंदन, शहद, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेहंदी, महावर, कपूर और पूरियों की अठावरी, हलुआ भी शामिल किया जा सकता है।
इस योग में रखा जाएगा करवा चौथ का व्रत
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार का करवा चौथ बहुत विशेष हैं। इस बार 46 साल बाद ग्रहों को विशेष संयोग बना है। इस बार करवा चौथ व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग, बुधादित्य और महालक्ष्मी योग में मनाजा जा रहा है। 23 अक्टूबर 1975 के बाद यह स्थिति बनी है।
करवा चौथ चंद्र उदय का समय 2022
आज चन्द्रोदय रात्रि 8 बजकर 30 मिनट पर होगा